मुगल सम्राट हुमायूँ मुग़ल साम्राज्य का दूसरा बादशाह
मुगल सम्राट हुमायूँ मुग़ल साम्राज्य का दूसरा बादशाह
हुमायूँ, मुग़ल साम्राज्य का दूसरा बादशाह, अपने अशांत शासनकाल के बावजूद भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण शख्सियत हैं।
कला और स्थापत्य का संरक्षक:
हुमायूँ को कला और स्थापत्य का बड़ा प्रेमी माना जाता है। उन्होंने मुगल वास्तुकला को एक नया आयाम दिया। उनका खुद का मकबरा, दिल्ली में स्थित हुमायूँ का मकबरा, मुगल वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। इस मकबरे की फ़ारसी शैली और विशाल बगीचे भारतीय स्थापत्य में मील का पत्थर साबित हुए। हुमायूँ के शासनकाल में कई अन्य खूबसूरत इमारतें भी बनवाई गईं, जिनमें से कुछ आज भी मौजूद हैं।
साम्राज्य का रक्षक:
हुमायूँ को मुगल साम्राज्य के रक्षक के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें शेर शाह सूरी जैसे शक्तिशाली शासकों से कई बार हार का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें निर्वासन में भी जाना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ईरान के शाह की मदद से वापस लौटे और अपना खोया हुआ साम्राज्य पुनः प्राप्त किया।
कला और संस्कृति का मिश्रण:
हुमायूँ के निर्वासन के दौरान उन्होंने ईरानी कला और संस्कृति को अपनाया। वापसी के बाद उन्होंने इस संस्कृति को मुगल साम्राज्य में शामिल किया। इससे भारतीय कला और संस्कृति में एक नया मिश्रण पैदा हुआ।
विरासत:
हुमायूँ भले ही अपने शासनकाल में साम्राज्य को पूरी तरह से स्थिर नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने अपने बेटे अकबर के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया। अकबर ने इसी मजबूत आधार पर मुगल साम्राज्य को उसकी सुनहरी अवधि तक पहुँचाया। हुमायूँ को कला और स्थापत्य के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए भी याद किया जाता है।
निष्कर्ष:
हुमायूँ का शासनकाल भले ही चुनौतियों से भरा रहा, लेकिन उनका भारतीय इतिहास और कला पर स्थायी प्रभाव पड़ा। उनके द्वारा निर्मित स्थापत्य स्मारक आज भी उनकी कलात्मक दृष्टि और मुगल साम्राज्य के वैभव का गवाह देते हैं।
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यह लेख [लक्ष्मी नारायण] द्वारा लिखा गया है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया [idea4you.in] पर जाएं। © [लक्ष्मी नारायण] [06/08/2024]। सभी अधिकार सुरक्षित।