मुग़ल सम्राट अकबर: प्रारंभिक जीवन और उदय
मुग़ल सम्राट अकबर: प्रारंभिक जीवन और उदय
अकबर का जन्म और बचपन
मुगल सम्राट अकबर का जन्म 1542 में सिंध के अमरकोट में हुआ था। उनके पिता हुमायूँ थे, जो मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के पुत्र थे। अकबर का जन्म एक ऐसे समय में हुआ जब मुग़ल साम्राज्य अस्थिरता का सामना कर रहा था। शेर शाह सूरी ने हुमायूँ को भारत से निर्वासित कर दिया था और मुग़ल साम्राज्य पर अपना अधिकार कर लिया था।
एक अशांत बचपन:
निर्वासन का जीवन: अकबर के जन्म के समय हुमायूँ निर्वासन में थे।
अकबर को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें विभिन्न स्थानों पर ले जाया जाता रहा।
असुरक्षित बचपन: अस्थिर राजनीतिक परिस्थितियों के कारण अकबर का बचपन काफी असुरक्षित रहा। उन्हें लगातार खतरे का सामना करना पड़ता था।
शिक्षा और प्रशिक्षण: हुमायूँ ने अकबर को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया। उन्हें कुरान की शिक्षा दी गई और उन्होंने कई भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।
एक युवा शासक का उदय:
हुमायूँ की मृत्यु: 1555 में हुमायूँ की मृत्यु हो गई और मात्र 13 वर्ष की आयु में अकबर मुग़ल साम्राज्य का शासक बन गया।
बैरम खान का संरक्षण: अकबर के बचपन और युवावस्था में बैरम खान ने उनका संरक्षण किया। बैरम खान ने अकबर को प्रशासनिक कार्यों में प्रशिक्षित किया और साम्राज्य को एकजुट करने के लिए कई सैन्य अभियान चलाए।
पानीपत का दूसरा युद्ध: 1556 में पानीपत के दूसरे युद्ध में अकबर की सेना ने हेमु को पराजित किया और दिल्ली पर अधिकार कर लिया। इस युद्ध ने मुग़ल साम्राज्य को पुनर्जीवित कर दिया और अकबर के शासनकाल की नींव रखी।
यह भी जानें:
- मुग़ल सम्राट अकबर: प्रारंभिक जीवन और उदय
- हुमायूँ के निर्वासन के दौरान अकबर का जीवन: एक संक्षिप्त विवरण
- पानीपत का दूसरा युद्ध और अकबर का सिंहासनारोहण: एक गहरा संबंध
- अकबर और राजपूतों के संबंध: विवाह और राजनीति का एक अनूठा संगम
- दक्कन अभियान और विजय: मुग़ल साम्राज्य का दक्षिण भारत में विस्तार
- अकबर और मुग़ल साम्राज्य का विस्तार
- अकबर की धार्मिक नीतियों का विकास
- दीन-ए-इलाही की स्थापना और उसके उद्देश्य
- अकबर का दरबार: विद्वानों और कलाकारों का संगम
- अकबर के नवरत्न: मुगल दरबार का गौरव
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- मुग़ल साम्राज्य पर अकबर का स्थायी प्रभाव
- बैरम खान का संरक्षण और अकबर का प्रारंभिक शासनकाल
अकबर, मुग़ल साम्राज्य का एक प्रभावशाली शासक था, जिसका जन्म 1542 में अमरकोट, सिंध में हुआ था। वह हुमायूँ और हमीदा बानू बेगम का पुत्र था। हुमायूँ के शासनकाल के दौरान अस्थिर राजनीतिक परिस्थितियों के कारण अकबर का बचपन काफी उथल-पुथल भरा रहा। शेर शाह सूरी के आक्रमण के बाद हुमायूँ को भारत छोड़कर निर्वासन में जाना पड़ा था। अकबर को सुरक्षित रखने के लिए उसे विभिन्न स्थानों पर ले जाया गया।
पानीपत का दूसरा युद्ध और सिंहासनारोहण
1555 में, हुमायूँ ने भारत पर पुनः अधिकार कर लिया, लेकिन एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। मात्र 13 वर्ष की आयु में अकबर मुग़ल साम्राज्य का शासक बन गया। उस समय साम्राज्य काफी अस्थिर था और कई चुनौतियों का सामना कर रहा था। अकबर के संरक्षक बैरम खान ने युवा सम्राट की ओर से शासन का कार्यभार संभाला और साम्राज्य को एकजुट करने के लिए कई सैन्य अभियान चलाए।
1556 में, पानीपत के दूसरे युद्ध में अकबर की सेना ने हेमु को पराजित किया और दिल्ली पर अधिकार कर लिया। इस युद्ध ने मुग़ल साम्राज्य को पुनर्जीवित कर दिया और अकबर के शासनकाल की नींव रखी।
शासन का आरंभिक काल
अकबर के शासनकाल के प्रारंभिक वर्षों में, बैरम खान ने एक सक्षम शासक के रूप में कार्य किया। उसने अकबर को प्रशासनिक कार्यों में प्रशिक्षित किया और साम्राज्य का विस्तार किया। हालांकि, बाद में अकबर और बैरम खान के बीच मतभेद हो गए और बैरम खान को दरबार से निकाल दिया गया।
अकबर के व्यक्तित्व के प्रमुख पहलू:
- युवावस्था में शासन: अकबर युवावस्था में ही शासक बन गया था, जिसके कारण उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- सैन्य प्रतिभा: अकबर एक कुशल सेनापति था और उसने कई सफल सैन्य अभियान चलाए।
- धार्मिक सहिष्णुता: अकबर विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णु था और उसने सभी धर्मों के लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया।
- बौद्धिक जिज्ञासा: अकबर एक जिज्ञासु व्यक्ति था और वह विभिन्न धर्मों और दर्शनों के बारे में जानने में रुचि रखता था।
अकबर का प्रारंभिक जीवन और उदय मुग़ल साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस युवा शासक ने न केवल साम्राज्य को एकजुट किया, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास को भी गहराई से प्रभावित किया।
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यह लेख [लक्ष्मी नारायण] द्वारा लिखा गया है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया [idea4you.in] पर जाएं। © [लक्ष्मी नारायण] [06/08/2024]। सभी अधिकार सुरक्षित।